लोगों की राय

बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 शिक्षाशास्त्र - शैक्षिक आकलन

बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 शिक्षाशास्त्र - शैक्षिक आकलन

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2799
आईएसबीएन :0

Like this Hindi book 0

5 पाठक हैं

बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 शिक्षाशास्त्र - शैक्षिक आकलन - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- फ्रायड ने व्यक्तित्व की गतिकी की व्याख्या किस आधार पर की है?

अथवा
मनोविश्लेषणात्मक सिद्धान्त के अनुसार व्यक्तित्व की गतिकी की व्याख्या कीजिए। मूलप्रवृत्ति से क्या तात्पर्य है? समझाइए।
अथवा
अहं रक्षात्मक प्रक्रम (Ego defense mechanism) व्यक्तित्व को किस प्रकार प्रभावित करते हैं?
अथवा
फ्रायड के अनुसार चिन्ता व्यक्तित्व पर किस प्रकार प्रभाव डालती है?

उत्तर -

व्यक्तित्व की गतिकी - फ्रायड के अनुसार मानव जीव एक जटिल तंत्र है, जिसमें शारीरिक ऊर्जा तथा मानसिक ऊर्जा दोनों ही होते हैं। इन दोनों तरह की ऊर्जाओं का स्पर्श बिन्दु उपाहं (id) होता है। फ्रायड ने इन ऊर्जाओं से सम्बन्धित कुछ ऐसे संप्रत्ययों का विकास किया है, जिनसे व्यक्तित्व की गत्यात्मक पहलुओं जैसे - मूलप्रवृत्ति, चिन्ता तथा मनोरचनाओं का वर्णन होता है-

1. मूलप्रवृत्ति - मूलप्रवृत्ति से फ्रायड का तात्पर्य वैसे जन्मजात शारीरिक उत्तेजना से होता है, जिसके द्वारा व्यक्ति के सभी तरह के व्यवहार निर्धारित किए जाते हैं। मूलप्रवृत्तियों को मूलतः दो भागों में बाँटा गया है- जीवन मूलप्रवृत्ति तथा मृत्युमूलप्रवृत्ति। .

जीवन मूलप्रवृत्ति, जिसे इरोस कहा जाता है, इसमें व्यक्ति के सभी तरह के रचनात्मक 'कार्यों, मानव वर्ग या जाति का प्रजनन भी शामिल है, जो नियंत्रित होता है।

मृत्यु मूलप्रवृत्ति या थैनायेस द्वारा व्यक्ति के सभी तरह के ध्वसात्मक कार्यों तथा आक्रमणकारी व्यवहारों का निर्धारण होता है।

सामान्य व्यक्तित्व में इन दोनों तरह की मूलप्रवृत्तियों में एक संतुलन पाया जाता है। इस संतुलन में प्रायः इरोस की सक्रियता थैनाटोस की सक्रियता से अधिक होती है।

2. चिन्ता - फ्रायड के अनुसार चिन्ता एक ऐसी भावात्मक एवं दुखद अवस्था होती है जो अहं को आलंबित खतरे से सतर्क करती है ताकि व्यक्ति वातावरण के साथ अनुकूली ढंग से व्यवहार कर सके। फ्रायड ने चिन्ता के तीन प्रकार बतलाये हैं

(i) वास्तविक चिन्ता - बाह्य वातावरण में व्याप्त वास्तविक खतरे के प्रति की गयी सांवेगिक अनुक्रिया को वास्तविक चिन्ता कहा जाता है। जैसे आग, साँप, भूकम्प से डरकर चिन्तित होना, वास्तविक चिन्ता का उदाहरण है।

(ii) तंत्रिकातापी चिन्ता - इस तरह की चिन्ता की उत्पत्ति उपाहं की इच्छाओं पर अहं की निर्भरता से होती है। इसमें व्यक्ति को यह आशंका उठती है कि अहं, उपाहं की इच्छाओं को खासकर यौन इच्छाओं तथा आक्रामक इच्छाओं को नियंत्रित करने में समर्थ रहेगा।

(iii) नैतिक चिन्ता - जब अहं को पराहं से दण्ड दिये जाने की धमकी मिलती है, तो इससे व्यक्ति में नैतिक चिन्ता उत्पन्न होती है। नैतिक चिन्ता की उत्पत्ति का कारण पराहं पर अहं की निर्भरता है। जब व्यक्ति उपाहं की अनैतिक विचारों एवं आवेगों को कार्य रूप दे देता है, तो ऐसी परिस्थिति में अहं को पराहं दण्ड देता है और उसके परिणामस्वरूप व्यक्ति में दोष-भाव, शर्म एवं आत्म-दोष की भावना उत्पन्न हो जाती है।

3. अहं रक्षात्मक प्रक्रम - अहं रक्षात्मक प्रक्रम अहं को चिन्ताओं से बचा पाता है। रक्षात्मक प्रक्रमों का प्रयोग सभी व्यक्ति करते हैं। सभी रक्षात्मक प्रक्रम अचेतन स्तर पर कार्य करते हैं। अतः वे आत्म-भ्रामक होते हैं। रक्षात्मक प्रक्रम वास्तविकता के प्रत्यक्षण को विकृत कर देते हैं। प्रमुख रक्षात्मक प्रक्रम निम्नांकित हैं

(i) दमन - दमन एक ऐसा रक्षात्मक प्रक्रम है, जिसके द्वारा चिन्ता, तनाव, मानसिक संघर्ष उत्पन्न करने वाली असामाजिक एवं अनैतिक इच्छाओं को चेतना से हटाकर व्यक्ति अचेतन में कर देता है।

(ii) यौक्तिकीकरण - यह रक्षात्मक प्रक्रम "अंगूर खट्टे हैं" जैसी कहावत को चरितार्थ करता है। इसमें अयुक्तिसंगत अभिप्रेरकों एवं इच्छाओं से उत्पन्न मानसिक संघर्ष या तनाव का समाधान उन अभिप्रेरकों एवं इच्छाओं को युक्तिसंगत बनाकर अर्थात तर्क एवं विवेकपूर्ण व्याख्या कर किया जाता है।

(iii) प्रतिक्रिया निर्माण - इस रक्षात्मक प्रक्रम में व्यक्ति अपने अहं को किसी कष्टकर या अप्रिय इच्छा तथा प्रेरणा से ठीक उस इच्छा एवं प्रेरणा के विपरीत इच्छा या प्रेरणा विकसित कर बचाता है। जैसे- भ्रष्ट नेता द्वारा भ्रष्टाचार के विरोध में भाषण देना तथा प्रेम में असफल हो जाने पर अपनी प्रेमिका या प्रेमी से घृणा करना प्रतिक्रिया निर्माण के उदाहरण हैं।

(iv) प्रतिगमन - प्रतिगमन का शाब्दिक अर्थ 'पीछे की ओर हो जाना होता है। यह एक ऐसा रक्षात्मक प्रक्रम है, जिसमें तनाव या संघर्ष के समाधान के लिए व्यक्ति में बाल्यावस्था के व्यवहारों की ओर पलटने की प्रवृत्ति होती है। जैसे -

किसी मानसिक तनाव या संघर्ष के उत्पन्न हो जाने पर वयस्क व्यक्ति भी कभी-कभी बच्चों की तरह फूट-फूटकर रोने लगता है

(v) प्रक्षेपण - दूसरे लोगों या वातावरण के प्रति अपनी अमान्य प्रस्तुतियों, मनोवृत्तियों एवं व्यवहारों को अचेतन रूप से आरोपित करने की प्रक्रिया को प्रक्षेपण कहा जाता है। प्रायः देखा जाता है कि परीक्षा में फेल हो जाने पर छात्र इसका दोष स्वयं पर न लेकर कठिन प्रश्न के पूछे जाने, आदि बतलाकर फेलं हो जाने से उत्पन्न चिन्ता को दूर करता है।

(vi) विस्थापन - इस रक्षात्मक प्रक्रम में व्यक्ति अपने संवेग या प्रेरणा को किसी वस्तु विशेष या व्यक्ति से अचेतन रूप से हटाकर दूसरे व्यक्ति या वस्तु से संबंधित कर लेता है। जैसे पिता या माता द्वारा पिटाई होने पर बालक द्वारा अपने छोटे भाई-बहन को पीटना शुरू कर देता है।

उपर्युक्त दिए गए रक्षात्मक प्रक्रमों से व्यक्ति अपने आपको बाह्य एवं आन्तरिक तनावों से बचाता है और इसका प्रयोग सभी स्वस्थ व्यक्तियों द्वारा किया जाता है।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

    अनुक्रम

  1. प्रश्न- शिक्षा में मापन के अर्थ एवं विशेषताओं की विवेचना कीजिए।
  2. प्रश्न- मापन का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
  3. प्रश्न- शैक्षिक मापन की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  4. प्रश्न- मापन की उपयोगिता एवं महत्त्व पर प्रकाश डालिए।
  5. प्रश्न- शिक्षा के क्षेत्र में मूल्यांकन की अवधारणा एवं अर्थ को स्पष्ट करते हुए इसकी उपयोगिता भी स्पष्ट कीजिए।
  6. प्रश्न- शिक्षा के क्षेत्र में मूल्यांकन का अर्थ स्पष्ट कीजिए !
  7. प्रश्न- शिक्षा के क्षेत्र में मूल्यांकन की उपयोगिता स्पष्ट कीजिए।
  8. प्रश्न- मापन और मूल्यांकन में सम्बन्ध बताइए।
  9. प्रश्न- मापन एवं मूल्याँकन में क्या अन्तर है? शिक्षा में इनकी क्या आवश्यकता है?
  10. प्रश्न- शिक्षा में मूल्यांकन के उद्देश्य और कार्यों का उल्लेख कीजिए।
  11. प्रश्न- सतत् और व्यापक मूल्यांकन से आप क्या समझते हैं? विस्तार से वर्णन कीजिए।
  12. प्रश्न- आकलन क्या है तथा आकलन क्यों किया जाता है? विभिन्न विद्वानों द्वारा दी गई परिभाषाओं के आधार पर परिभाषित कीजिए।
  13. प्रश्न- आकलन के क्षेत्र उनकी आवश्यकता तथा शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में आकलन की भूमिका का उल्लेख कीजिए।
  14. प्रश्न- शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में आकलन के प्रकार तथा इसकी विशेषताएँ एवं उद्देश्यों की व्याख्या कीजिए।
  15. प्रश्न- आकलन के प्रमुख कार्यों का उल्लेख कीजिए।
  16. प्रश्न- आकलन प्रक्रिया के सोपान कौन-कौन से हैं?
  17. प्रश्न- भौतिक तथा मानसिक मापन क्या होता है? इनका तुलनात्मक अध्ययन कीजिए।
  18. प्रश्न- सतत् एवं व्यापक मूल्यांकन का अर्थ एवं परिभाषा दीजिए। सतत् एवं व्यापक मूल्यांकन के उद्देश्यों तथा उसके स्वरूप का वर्णन कीजिए।
  19. प्रश्न- अच्छे मापन की विशेषतायें बताइये।
  20. प्रश्न- मापन कितने प्रकार का होता है?
  21. प्रश्न- शैक्षिक मापन का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
  22. प्रश्न- मापन के प्रमुख कार्य बताइये।
  23. प्रश्न- मापन एवं मूल्यांकन के विशिष्ट उद्देश्य बताइए।
  24. प्रश्न- सतत् तथा व्यापक मूल्यांकन का क्या महत्त्व है? वर्णन कीजिए।
  25. प्रश्न- सतत् और व्यापक मूल्यांकन की विशेषताएँ स्पष्ट कीजिए।
  26. प्रश्न- परीक्षण मानक को विस्तार से समझाइये।
  27. प्रश्न- मानक से आप क्या समझते हैं? ये कितने प्रकार के होते है? अच्छे मानकों की विशेषताएँ बताइए।
  28. प्रश्न- मानक कितने प्रकार के होते हैं?
  29. प्रश्न- अच्छे मानकों की विशेषताएँ बताइए।
  30. प्रश्न- अंकन तथा ग्रेडिंग प्रणाली का अर्थ बताते हुए दोनों के बीच क्या अन्तर है? व्याख्या कीजिए।
  31. प्रश्न- वर्तमान राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में प्रचलित क्रेडिट सिस्टम क्या है? इसके लाभ और हानि पर प्रकाश डालिए।
  32. प्रश्न- मानक परीक्षण 'मानक' क्या होते हैं?
  33. प्रश्न- मानक क्या है? मानकों के प्रकार बताइये।
  34. प्रश्न- उपलब्धि परीक्षण से क्या आशय है? इसके उद्देश्य एवं महत्व को स्पष्ट कीजिए।
  35. प्रश्न- उपलब्धि परीक्षणों के उद्देश्य बताइये।
  36. प्रश्न- उपलब्धि परीक्षणों का महत्त्व स्पष्ट कीजिए।
  37. प्रश्न- प्रमापीकृत परीक्षण का अर्थ स्पष्ट कीजिए तथा इसकी प्रमुख विशेषताओं को बताइये।
  38. प्रश्न- प्रमापीकृत परीक्षण की प्रमुख विशेषताएँ बताइये।
  39. प्रश्न- एक अच्छे परीक्षण से आप क्या समझते हैं? एक अच्छे परीक्षण की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  40. प्रश्न- एक अच्छे परीक्षण की विशेषतायें बताइये।
  41. प्रश्न- परीक्षण से आप क्या समझते हैं? इसके विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  42. प्रश्न- परीक्षण की प्रकृति के आधार पर परीक्षणों के प्रकार लिखिए।
  43. प्रश्न- परीक्षण के द्वारा मापे जा रहे गुणों के आधार पर परीक्षणों के प्रकार लिखिए।
  44. प्रश्न- परीक्षण के प्रशासन के आधार पर परीक्षणों के विभिन्न प्रकारों को बताइये।
  45. प्रश्न- परीक्षणों में प्रयुक्त प्रश्नों के आधार पर परीक्षणों के विभिन्न प्रकार लिखिए।
  46. प्रश्न- प्रश्नों के उत्तर के फलांकन के आधार पर परीक्षणों का वर्गीकरण, कीजिए।
  47. प्रश्न- परीक्षण में लगने वाले समय के आधार पर परीक्षणों के प्रकार लिखिए।
  48. प्रश्न- "निबन्धात्मक परीक्षण की कमियों को दूर करने के लिए वस्तुनिष्ठ परीक्षण की आवश्यकता है।" इस कथन के सन्दर्भ में वस्तुनिष्ठ परीक्षण की उपयोगिता का वर्णन कीजिए।
  49. प्रश्न- निबन्धात्मक परीक्षाओं के गुण एवं दोषों का वर्णन कीजिए।
  50. प्रश्न- निबन्धात्मक परीक्षाओं के दोषों का वर्णन कीजिए।
  51. प्रश्न- वस्तुनिष्ठ परीक्षण का अर्थ स्पष्ट कीजिए। इसके उद्देश्य, गुण व दोषों की विवेचना कीजिए।
  52. प्रश्न- वस्तुनिष्ठ परीक्षण के उद्देश्य बताइए।
  53. प्रश्न- वस्तुनिष्ठ परीक्षणों के प्रमुख गुणों का वर्णन कीजिए।
  54. प्रश्न- वस्तुनिष्ठ परीक्षण के प्रमुख दोषों का वर्णन कीजिए।
  55. प्रश्न- परीक्षणों का वर्गीकरण कीजिए।
  56. प्रश्न- मापीकृत उपलब्धि परीक्षण और अध्यापककृत उपलब्धि परीक्षणों में अन्तर बताइये।
  57. प्रश्न- बुद्धि के प्रत्यय / अवधारणा को बताते हुए उसके अर्थ एवं परिभाषा तथा बुद्धि की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  58. प्रश्न- बुद्धि को परिभाषित कीजिये। इसके विभिन्न प्रकारों तथा बुद्धिलब्धि के प्रत्यय का वर्णन कीजिए।
  59. प्रश्न- बुद्धि परीक्षण से आप क्या समझते हैं? इसके प्रकारों तथा महत्व का वर्णन कीजिए।
  60. प्रश्न- गिलफोर्ड के त्रिआयामी बुद्धि सिद्धान्त का वर्णन कीजिये।
  61. प्रश्न- 'बुद्धि आनुवांशिकता से प्रभावित होती है या वातावरण से। स्पष्ट कीजिये।
  62. प्रश्न- बुद्धि के प्रमुख सिद्धान्तों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  63. प्रश्न- व्यक्तिगत एवं सामूहिक बुद्धि परीक्षण से आप क्या समझते हैं? व्यक्तिगत तथा सामूहिक बुद्धि परीक्षण की विशेषताएँ एवं सीमाएँ बताइये।
  64. प्रश्न- व्यक्तिगत बुद्धि परीक्षण की विशेषताएँ बताइये।
  65. प्रश्न- व्यक्तिगत बुद्धि परीक्षण की सीमायें बताइये।
  66. प्रश्न- सामूहिक बुद्धि परीक्षण से आप क्या समझते हैं?
  67. प्रश्न- सामूहिक बुद्धि परीक्षण की विशेषताएँ बताइए।
  68. प्रश्न- सामूहिक बुद्धि परीक्षण की सीमाएँ बताइए।
  69. प्रश्न- संवेगात्मक बुद्धि से आप क्या समझते हैं? संवेगात्मक लब्धि के विचार पर टिप्पणी लिखिये।
  70. प्रश्न- बुद्धि से आप क्या समझते हैं? बुद्धि के प्रकार बताइये।
  71. प्रश्न- वंशानुक्रम तथा वातावरण बुद्धि को किस प्रकार प्रभावित करता है?
  72. प्रश्न- संस्कृति परीक्षण को किस प्रकार प्रभावित करती है?
  73. प्रश्न- परीक्षण प्राप्तांकों की व्याख्या से क्या आशय है?
  74. प्रश्न- उदाहरण सहित बुद्धि-लब्धि के प्रत्यन को स्पष्ट कीजिए।
  75. प्रश्न- बुद्धि परीक्षणों के उपयोग बताइये।
  76. प्रश्न- बुद्धि लब्धि तथा विचलन बुद्धि लब्धि के अन्तर को उदाहरण सहित समझाइए।
  77. प्रश्न- बुद्धि लब्धि व बुद्धि के निर्धारक तत्व बताइये।
  78. प्रश्न- शाब्दिक एवं अशाब्दिक बुद्धि परीक्षणों के अंतर को उदाहरण द्वारा स्पष्ट कीजिए।
  79. प्रश्न- व्यक्तित्व क्या है? उनका निर्धारण कैसे होता है? व्यक्तित्व की प्रकृति का वर्णन कीजिए।
  80. प्रश्न- व्यक्तित्व के जैविक, सामाजिक तथा सांस्कृतिक निर्धारकों का वर्णन कीजिए।
  81. प्रश्न- व्यक्तित्व से आप क्या समझते हैं? इसकी उपयुक्त परिभाषा देते हुए इसके अर्थ को स्पष्ट कीजिये।
  82. प्रश्न- व्यक्तित्व कितने प्रकार के होते हैं? विभिन्न मनोवैज्ञानिकों ने व्यक्तित्व का वर्गीकरण किस प्रकार किया है?
  83. प्रश्न- व्यक्तित्व के विभिन्न उपागमों या सिद्धान्तों का वर्णन कीजिये।
  84. प्रश्न- व्यक्तित्व पर ऑलपोर्ट के योगदान की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।-
  85. प्रश्न- कैटेल द्वारा बताए गए व्यक्तित्व के शीलगुणों का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
  86. प्रश्न- व्यक्ति के विकास की व्याख्या फ्रायड ने किस प्रकार दी है? संक्षेप में बताइए।
  87. प्रश्न- फ्रायड ने व्यक्तित्व की गतिकी की व्याख्या किस आधार पर की है?
  88. प्रश्न- व्यक्तित्व के मनोविश्लेषणात्मक सिद्धान्त की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
  89. प्रश्न- व्यक्तित्व के मानवतावादी सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
  90. प्रश्न- कार्ल रोजर्स ने अपने सिद्धान्त में व्यक्तित्व की व्याख्या किस प्रकार की है? वर्णन कीजिए।
  91. प्रश्न- व्यक्तित्व सूचियाँ क्या होती हैं तथा इसके ऐतिहासिक विकास क्रम के बारे में समझाइए?
  92. प्रश्न- व्यक्तित्व के शीलगुणों का वर्णन कीजिये।
  93. प्रश्न- प्रजातान्त्रिक व्यक्तित्व एवं निरंकुश व्यक्तित्व पर प्रकाश डालिये।
  94. प्रश्न- शीलगुण सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
  95. प्रश्न- शीलगुण उपागम में 'बिग फाइव' ( OCEAN) संप्रत्यय की संक्षिप्त व्याख्या दीजिए।
  96. प्रश्न- प्रक्षेपी प्रविधियों के प्रकार तथा गुण-दोष बताइए।
  97. प्रश्न- प्रक्षेपी प्रविधियों के गुण बताइए।
  98. प्रश्न- प्रक्षेपी प्रविधियों के दोष बताइए।
  99. प्रश्न- प्रक्षेपी विधियाँ किसे कहते हैं? इनका अर्थ स्पष्ट कीजिए।
  100. प्रश्न- प्रक्षेपी विधियों की प्रकृति तथा विशेषताएँ बताइये।
  101. प्रश्न- अभिक्षमता क्या है? परिभाषा भी दीजिए तथा अभिक्षमता कितने प्रकार की होती है? अभिक्षमता की विशेषताएँ क्या हैं?
  102. प्रश्न- अभिक्षमता परीक्षण के मापन पर प्रकाश डालिए।

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book